आरएसएस की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों पर लगा प्रतिबंध हटने से लोकतांत्रिक ढांचा और मजबूत होगा- उपाध्याय

मनेन्द्रगढ़ जिला एम,सी बी राष्ट्र प्रेम की भावना विकसित करने एवं बालकों में उत्तम संस्कार देने वाली संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रमों में सरकारी कर्मचारियों पर लगे 58 साल पुराने प्रतिबंध को हटाये जाने पर वरिष्ठ साहित्यकार एवं आध्यात्मिक गौरव राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित सतीश उपाध्याय ने केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है आरएसएस की पारिवारिक पृष्ठभूमि से जुड़े उपाध्याय ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 99 वर्षों से सतत राष्ट्र के पुनर्निर्माण और समाज सेवा में संलग्न है सरकार के इस दूरदर्शी फैसले से भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली मजबूत होगी। उन्होंने कहा -राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता ,अखंडता और प्राकृतिक आपदा के समय समाज को साथ लेकर चलने में संघ के योगदान के कारण देश के विभिन्न स्तर के नेतृत्व ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के योगदान की राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा की है। योग एवं आध्यात्म के पक्षधर वरिष्ठ साहित्यकार सतीश उपाध्याय ने जानकारी देते हुए बताया कि 7 नवंबर 1966 को तत्कालीन प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक के कार्यक्रमों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने अपने राजनीतिक हितों के कारण सरकारी कर्मचारियों के संघ के गतिविधियों में भाग लेने पर अनावश्यक प्रतिबंध लगा दिया था, उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ी एक याचिका पर कहा है कि -केंद्र सरकार को अपनी गलती का एहसास होने और यह स्वीकार करने में 5 दशक का समय लग गया उसने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसी अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रसिद्ध संगठन को गलत तरीके से ऐसे प्रतिबंधित संगठन की सूची में रखा था जिसकी गतिविधियों में केंद्रीय कर्मचारी शामिल नहीं हो सकते। श्री उपाध्याय ने कहा इस ऐतिहासिक निर्णय से अब केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाले कर्मचारी अधिकारी अपने कार्यकाल के दौरान र आर एस एस के सदस्य बनकर इसकी गतिविधियों में शामिल हो सकेंगे। आरएसएस के उद्देश्यों एवं स्वरूप की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि आरएसएस सरकारी सिस्टम के बाहर एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित स्वयं संचालित स्वैच्छिक संगठन है इसके गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेने वाले देश के सभी क्षेत्रों से हैं। संघ की छत्रछाया में ही धार्मिक सामाजिक शैक्षिक स्वास्थ्य और कई राजनीतिक गतिविधियां संचालित हो रही है इनका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है।