आखिर कब होगा सिस्टम का पोस्टमार्टम शहर का मुक्तिधाम अव्यवस्था का शिकार, न तो बैठने की व्यवस्था न ही प्रकाश का है इंतजाम, जनप्रतिनिधियों को संज्ञान लेना चाहिए

मनेन्द्रगढ़ जिला एमसीबी,नगर पालिका परिषद इस तरफ समस्या ध्यान देना चाहिए जनहित से जुड़ा मामला जनप्रतिनिधियों इस समस्या की ओर ध्यान दें जनता की मांग है की हमारे क्षेत्र के लाडले विधायक और कैबिनेट स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल संज्ञान लेना चाहिए जनता की मांग परिवार में कोई अगर मृत्यु हो जाता है परिवार को समस्या का उठानी पड़ती है प्रकाश व्यवस्था न होने से यहाँ शव भी नहीं रखे जा सकते .मुर्दाघर में अव्यवस्था से यहाँ शव लेकर आने वाले भी परेशान होते हैं. पर्याप्त लाइट न होने से आवारा तत्वों का जमघट मुक्ति धाम में लगा रहता है.इतने संवेदनशील मुद्दे पर भी जिम्मेदारो का मौन समझ से परे है .बीती रात यहाँ एक युवक का शव रखने पहुंचे लोग काफी देर तक परेशान होते रहे.
मुक्तिधाम में अव्यवस्था हावी -शहर के आमाखेरवा इलाके में बने मुक्तिधाम में अव्यवस्था और बदइंतजामी का ऐसा तालमेल है जिसे देखकर ऐसा नहीं लगता है कि यहाँ अंतिम संस्कार के लिए आने वाले लोगों को कोई सहूलियत मिल पाती होगी. इसी परिसर में चीरघर भी बनाया गया है लेकिन बद इंतजामी के कारण यहां पोस्टमार्टम भी नहीं हो पाता.यहाँ कमरे में 10से ज्यादा ट्यूब,लाइट लगी है लेकिन मुश्किल से एक ही जल पाती है जिसे आसानी से समझा जा सकता है कि यहां कितनी अव्यवस्था फैली हुई है. चबूतरो में बैठना यहां अंतिम संस्कार में आने वाले लोगों के बैठने के लिए चबूतरे बने गए हैं पूरी तरह से जर्जर हो गए हैं. यहां छत के नीचे बैठना अपनी जान को जोखिम में डालने जैसा है. पूरे शहर में जहां देखो वही काम चल रहा है लेकिन मुक्तिधाम को सुधारने और व्यवस्थित करने के लिए पता नहीं क्यों स्थानिक जनप्रतिनिधियों में कोई अभिरुचि ही नहीं है. चारों तरफ खरपतवार और गंदगी -मुक्तिधाम में चारों तरफ खरपतवार और गाजर घास लगी हुई है जिसमें जहरीले जीव जंतुओं का खतरा बना हुआ है. अभी कुछ दिनों पहले स्वच्छता अभियान के तहत यहां साफ सफाई की गई थी लेकिन उसके बाद किसी ने यहां पर पलट कर देखना भी जरूरी नहीं समझा. लोगों का कहना कि आखिर ऐसी कौन सी वजह है शहर की जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को मुक्तिधाम की दुर्दशा ही दिखाई नहीं पड़ती. मुक्तिधाम बना गौठान,मुक्तिधाम परिसर चारों ओर से खुला हुआ है मवेशी यहां आसानी से घुस जाते हैं और चारों तरफ गंदगी करते हैं. यहां रोजाना लोगों की आवक बनी रहती है लेकिन उसके बावजूद भी पता नहीं क्यों इसे व्यस्त करने की दिशा में कोई जन प्रतिनिधि अभिरुचि ही नहीं दिख रहा है
चारों ओर अंधेरा ही अंधेरा- यहां सबसे बड़ी समस्या प्रकाश की है. मुक्तिधाम परिसर में ही एक कक्ष बना हुआ है जिसमें दुर्घटना, हत्या, लावारिस अथवा उन शवो को लाकर रखा जाता है जिनकी संदेहास्पद अवस्था में मृत्यु हुई होती है. लेकिन इस कक्ष में घुसना पेरिस ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने जैसा है.इसके अलावा सूर्यास्त होते ही पूरे मुक्तिधाम परिसर में अंधेरे का साम्राज्य हो जाता है जिससे यहां – जाना काफी मुश्किल होता है. ऐसे में उन परिवार जनों पर क्या बीती होगी जो किसी अपने का शव लेकर यहाँ रखने के लिए आते हैं.
इस संबंध में हिन्द मजदूर सभा के श्रमिक नेता अख्तर जावेद ने बताया कि रविवार की रात्रि लगभग 7:00 बजे हुए खोगापानी से एक मृतक युवक का शव लेकर कुछ लोगों के साथ यहां रखवाने के लिए आए थे, लेकिन यहां जिस तरह से बदइंतजामी थी उसे देखकर तो ऐसा लग रहा था मानो मुक्तिधाम की व्यवस्था से किसी को कोई लेना-देना नहीं है. पूरे कक्ष में चारों तरफ खून ही खून,गंदगी फैली हुई थी. कक्ष में रखी हुई पूरी मशीन खराब थी. हमने खुद प्रयास कर जब मिस्त्री को बुलवाया तब कहीं जाकर कुछ व्यवस्था बन पाई. लेकिन बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर यहां कोई लावारिस अथवा उन लोगों के शवो को रखा जाए जिनकी हत्या हुई हो तो वे शव तो पूरी तरह सड़ जाएंगे और फिर उससे फॉरेंसिक जांच की प्रभावित हो सकती है. बहर हाल देखना यह है कि क्षेत्र के जिम्मेदार जन प्रतिनिधियों और अधिकारियों के कानों में इस क्षेत्र की बद इंतजामी की बात कब तक पहुंचती है और वे इसे सुधारने की दिशा में कोई बड़ी पहल करते हैं.