जिला एमसीबी राष्ट्रीय सेवक संघ द्वारा विजयदशमी,पर्व पर पथ संचालक कर शस्त्र पूजन कर उत्सव मनाया गया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ माताएं नागरिक गण महिलाएं पुरुषों ने बहनों पुष्प वर्षा की गई राष्ट्रीय सेवक संघ के द्वारा शहर का भ्रमण काफी संख्या में संघ के लोग उपस्थित

मनेन्द्रगढ़। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा विजयादशमी पर्व पर पथ संचलन कर, शस्त्र पूजन कर उत्सव मनाया गया। इस अवसर पर संघ के सभी लोग अपने गणेशोत्सव में दंड लेकर शहर के प्रमुख चौक, चौराहे, गलियों में गए और अंत में श्री राम मंदिर महासभा में समापन उत्सव मनाया गया। इस अवसर पर पथ संचलन करते हुए लोगों ने शहर के प्रमुख नागरिक गण महिला,पुरुषों ने पुष्प वर्षा भी की। समापन अवसर पर संघ के जिला अध्यक्ष नीरज अग्रवाल नगर संघ के चालक एवं योग कार्यक्रम के जिला निर्देश ठाकुर प्रसाद के साड़ी, कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता संघ प्रमुख, शिक्षक, सरस्वती शिशु मंदिर मंदिर सरभोका के विधान कलेश्वर प्रसाद पैकारा एवं राम मंदिर के पुजारी रामकृष्ण महाराज की उपस्थिति में कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। इस अवसर पर ध्वज फहराकर शस्त्र पूजन किया गया।
कार्यक्रम में सुभाषित, एवं गीत के बाद मंच पर विराजे विशिष्ट अतिथि राम मंदिर के महंत रामकृष्ण महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा था कि विजयादशमी के अवसर पर ऐसे कार्यक्रम निरंतर बने रहना चाहिए आज देश-प्रदेश में बहुत साडी विमुक्तिकारी के आ जाने से देश की दशा और देश बनाने का निरंतर प्रयास जारी है, इसके लिए हमें सावधान रहना चाहिए। ऐसे प्रोग्राम में हम सबको सहभागी बनाना चाहिए। इस संस्था को बाला साहब ने जो सोचा था उसमें इसका उत्तरोत्तर विकास होगा। देशहित में राष्ट्रहित में घर के सदस्यों को शामिल करना चाहिए, ऐसे कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए बच्चों को समाज को आगे बढ़ाना चाहिए, अपना योगदान देना चाहिए। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए संस्था के मुख्य मुख्य अतिथि कालेश्वर प्रसाद पैकरा ने अपने उद्बोधन में कहा कि अश्विन शुक्ल विजयादशमी शक्ति पूजा का अवसर है जिसमें देवी शक्ति और आसुरी शक्ति के बीच केंबट में आसुरी शक्ति का विनाश होता है अर्थात सत्य पर सत्य की बात है जीत। विजयादशमी का पर्व आप सभी को मंगलमय हो। परंपरा के अनुसार किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए विजयादशमी का पर्व सबसे शुभ माना जाता है ऐसे शुभ कार्य के अवसर पर हम सब सात्विक, राष्ट्रीय, गौरवपूर्ण कार्य करते हैं विजयदशमी पर्व विजय का प्रतीक है। सतयुग में भगवान आसुरी शक्ति महिषासुर को ऐसे समाप्त होते हैं जैसे द्वापर में भगवान कृष्ण ने कंस को समाप्त किया था। शस्त्र पूजन परंपरा के अनुसार दुष्टों को समाप्त करने के लिए आज देश की रक्षा के लिए शास्त्र की पूजा की जाती है, महाभारत में पांडवों ने अपने वनवास के समय विजयादशमी के दिन अपने सिद्धांतों को जो शमी वृक्ष के ऊपर धारण किया था, वह वृक्ष की पूजा की जाती है। पूजा की जा रही है। इसी प्रकार के देश के विचित्र इंद्रधनुष में भगवान की रक्षा के लिए विजयादशमी के दिन ही छत्रपति शिवाजी ने भी शुरुआत की थी। इसी प्रकार राष्ट्र की शक्ति संरक्षण के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी विजयादशमी का दिन चुना। परम पूज्य डॉक्टर हेडेगवार ने नागपुर में अपने कुछ स्वयंसेवकों को साथ लेकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना की। उन्होंने देखा कि सभी समाज के लोगों में आत्मज्ञान की कमी है, उनकी शक्ति का अध्ययन करने के लिए आत्मज्ञान को जागृत करने का कार्य किया गया। तब संघ आगे बढ़ो विचारधारा। इसके लिए उन्होंने कुछ बाल, युवा, प्रोढ़ लोगों के साथ शक्ति संग्रह का कार्य शुरू किया ताकि समाज में जागृति पैदा हो सके। उन्हें विद्या भारती के क्षेत्र में निवासियों के बीच बनवासी कल्याण आश्रम में कार्य करने की आवश्यकता है, ताकि समाज के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों में जागृति का जन्म हो सके, इसलिए भारतीय श्रमिक संघ की स्थापना के लिए विद्यार्थियों के बीच कार्य करना आवश्यक है। देश में विमुक्तिकर्मी से रक्षा करने के लिए पूर्व में भी मातृशक्तियाँ महारानी दुर्गावती,अहिल्याबाई ने भी विकट परिस्थिति में भी अजब का साहस का परिचय देते हुए क्षेत्र के समाज के लोगों के साथ रही और देश के विखंडित भूमिका के साथ लड़की का परिचय दिया। इसी प्रकार आर्य समाज की स्थापना के लिए दयानंद सरस्वती जी ने भी समाज में अलग-अलग क्षेत्रों में कार्य किया, अब सभी के रास्ते पर हम विहार करेंगे ताकि उस देश को विघटनकारी संगठन से अलग किया जा सके। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को परिवार बनाना होगा। हमारे कार्य गांव के अंतिम अध्यक्ष तक का पुनर्वित्त है समाज के अंदर बदलाव दिखाई दे रहा है कि नहीं हमें यह देखना होगा हमें अपने चरित्र को भी देखने की जरूरत है हमारा चरित्र अच्छा है कि नहीं अगर हमारा चरित्र अच्छा होगा तो संघ का चरित्र भी अच्छा है क्या हम इसे,इससे राष्ट्र के चरित्र की परिकल्पना कर पाएंगे। हमें चरित्र निर्माण करना होगा, इसके बाद ही देश का चरित्र बनेगा। आज हमारा देश प्रदेश जिला फलने फूलने लगा है अब इसमें कुछ प्रभाव देखने को मिल रहा है यह सब देखने वाले ड्यूराचारियों को परेशानी हो रही है हमें अपने संघ से बातचीत करनी होगी। हम देख रहे हैं कि हमारी संस्कृति पर कुठाराघात हो रहा है, हमारी संस्कृति को कुटुंब बनाने का कार्य किया जा रहा है। हमें समाज में एकल परिवार, सहभोज जैसे कार्य करने होंगे जिससे परिवार खत्म हो जाएगा। हमें अपने धर्म के बारे में चर्चा करनी होगी, धर्म को कैसे आगे बढ़ाया जाए, इस पर विचार करना होगा। वर्तमान में हमें एक की आवश्यकता है आज जो भेदभाव हो रहा है उसे बढ़ावा देना होगा। हमारा कैसा पर्यावरण है साम्य हो रहा है ऐसे में सब ख़त्म हो जायेंगे। इसे देखने पर बुरा प्रभाव पड़ता है इसलिए इसका संरक्षण करना आवश्यक है। समाज के निर्माण में समरसता की आवश्यकता है। अंत में सभी ने ध्वज नमस्कार किया, नमस्कार कर ध्वज प्रणाम किया। प्रोग्राम का प्रदर्शन नीरज अग्रवाल ने इस अवसर पर प्रमुख रूप से दिनेश्वर मिश्रा, लाखन राघव, धर्मेंद्र पटवा, संदीप धवन, प्रमोद अग्रवाल, अनिल केसरवानी, पदम अग्रवाल, गणेश अग्रवाल, सतीश उपाध्याय, मधु पोद्दार, स्कोर जैन, गुड्डा भैया, प्रदीप तिवारी विजय अग्रवाल, श्रीमती प्रतिमा पटवा गीता पासी, जया कर, अलका गांधी, श्वेता मिश्रा उपस्थित रहे।धर्म को कैसे आगे बढ़ाया जाए, इस पर मंथन होगा। वर्तमान में हमें एक की आवश्यकता है आज जो भेदभाव हो रहा है उसे बढ़ावा देना होगा। हमारा कैसा पर्यावरण है साम्य हो रहा है ऐसे में सब ख़त्म हो जायेंगे। इसे देखने पर बुरा प्रभाव पड़ता है इसलिए इसका संरक्षण करना आवश्यक है। समाज के निर्माण में समरसता की आवश्यकता है। अंत में सभी ने ध्वज नमस्कार किया, नमस्कार कर ध्वज प्रणाम किया। प्रोग्राम का प्रदर्शन नीरज अग्रवाल ने इस अवसर पर प्रमुख रूप से दिनेश्वर मिश्रा, लाखन राघव, धर्मेन्द्र पटवा, संदीप धवन, प्रमोद अग्रवाल, अनिल केसरवानी, पदम अग्रवाल, गणेश अग्रवाल, सतीश उपाध्याय, मधु पोद्दार, स्कोर जैन, गुड्डा भैया, प्रदीप तिवारी विजय अग्रवाल, श्रीमती प्रतिमा पटवा गीता पासी, जया कर, अलका गांधी, श्वेता मिश्रा उपस्थित रहे।धर्म को कैसे आगे बढ़ाया जाए, इस पर मंथन होगा। वर्तमान में हमें एक की आवश्यकता है आज जो भेदभाव हो रहा है उसे बढ़ावा देना होगा। हमारा कैसा पर्यावरण है साम्य हो रहा है ऐसे में सब ख़त्म हो जायेंगे। इसे देखने पर बुरा प्रभाव पड़ता है इसलिए इसका संरक्षण करना आवश्यक है। समाज के निर्माण में समरसता की आवश्यकता है। अंत में सभी ने ध्वज नमस्कार किया, नमस्कार कर ध्वज प्रणाम किया। प्रोग्राम का प्रदर्शन नीरज अग्रवाल ने इस अवसर पर प्रमुख रूप से दिनेश्वर मिश्रा, लाखन राघव, धर्मेन्द्र पटवा, संदीप धवन, प्रमोद अग्रवाल, अनिल केसरवानी, पदम अग्रवाल, गणेश अग्रवाल, सतीश उपाध्याय, मधु पोद्दार, स्कोर जैन, गुड्डा भैया, प्रदीप तिवारी विजय अग्रवाल, श्रीमती प्रतिमा पटवा गीता पासी, जया कर, अलका गांधी, श्वेता मिश्रा उपस्थित कर शस्त्र पूजन का उत्सव मनाया गया