मनेन्द्रगढ़

पत्रकार मनीष रैकवार देहांत होने से बेटा नहीं होने से,बेटियों ने बेटा बनकर अपने पिता को कंधा देकर मुखाग्नि दी

मनेन्द्रगढ़ जिला एमसीबी पिता की चिता में मुखाग्नि सिर्फ बेटा ही दे सकता है बेटियां चिता को आग नहीं लगा सकतीं इस रूढ़िवादी सामाजिक सोच से ऊपर उठकर शहर के नदीपार इलाके की मनीष रैकवार परिवार की दो बेटियों ने सोमवार को न सिर्फ पिता के शव को कंधा लगाया, बल्कि श्मशान घाट पर मुखाग्नि देकर अपना फर्ज अदा किया। शमशान घाट पर मनीष रैकवार की दोनों बेटियां भी गई थीं। पिता मनीष रैकवार को मुखाग्नि देकर बेटी ने साबित कर दिया कि, बेटा और बेटी में फर्क नहीं होता,दसअसल, मनेन्द्रगढ़ शहर के नदीपार स्थित सुरभि पार्क के पास 50 वर्षीय मनीष रैकवार का रविवार दोपहर निधन हो गया था। निधन के दौरान घर पर उनकी पत्नी गायत्री रैकवार और बड़ी बेटी मनस्वी रैकवार थी। छोटी बेटी मान्यता रैकवार एग्रीकल्चर की पढ़ाई बेमेतरा में करती थी। रविवार दोपहर उसे पिता के निधन की सूचना मिली। फिर सोमवार को मनीष रैकवार की छोटी बेटी मान्यता रैकवार घर पहुंची। पिता मनीष रैकवार को कंधा देकर श्मशान घाट तक पहुंची और मुक्तिधाम में मुखाग्नि दी,बेटी ने अपने पिता के लिए बेटा और बेटी दोनों का कर्तव्य निभाकर उन्हें मुखाग्नि दी। पिता के निधन से दुखी बेटी मान्यता और मनस्वी बड़े भारी दुखित मन से पिता की अंतिम यात्रा में शामिल हुई शमशान घाट में आंखों से छलक रहे आसुंओं के बीच इस बहादुर बेटी ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। बेटी को उसके पिता को मुखाग्नि देते देखकर वहां उपस्थितजनों की भी अति ममतामय करुणामय दृश्य को देखकर आंखें नम हो गई मनेन्द्रगढ़ आसपास के सभी पत्रकार और काफी संख्या में लोग शमशान घाट पहुंचकर अंतिम श्रद्धांजलि दी

Rafeek Memon

संपादक, इंडियन जागरण

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