मनेन्द्रगढ़

श्री राम मंदिर में किया गया गीता जयंती का आयोजन

मनेद्रगढ़, जिला एमसीबी गीता संपूर्ण मानव जाति का धर्मशास्त्र है यह किसी व्यक्ति विशेष, किसी जाति, वर्ग, पंथ देशकाल या किसी रूढ़ि ग्रस्त संप्रदाय का ग्रंथ नहीं बल्कि यह सर्वलौकिक तथा सार्वकारिक धर्मशास्त्र है -उक्ताशय के विचार गीता जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला संघ चालक नीरज अग्रवाल ने व्यक्त किया।
स्थानीय श्री राम मंदिर में आयोजित गीता जयंती के कार्यक्रम की शुरुआत योगेश्वर श्री कृष्ण के विराट स्वरूप के चित्र पर ,दीप प्रज्वलन करके किया गया। गीता को आध्यात्मिक उन्नयन का धार्मिक ग्रंथ बताते हुए पतंजलि योग समिति के जिला प्रभारी सतीश उपाध्याय ने गीता के कई प्रमुख अध्यायों के अंशो का उल्लेख करते हुए सात्विक राजसी एवं तामसिक आहारों का मन पर पड़ने वाले प्रभावों का उल्लेख किया। श्री उपाध्याय ने ओम के सम्यक विधि ,प्रणव शब्द के अनवरत उच्चारण से मन के संबंध पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि- गीता जीवन जीने की कला सिखाती है एवं मनुष्य के सम्यक दृष्टि आशावादी सोच को परिष्कृत करती है।
सेवानिवृत्त व्याख्याता सुदर्शन प्रसाद गुप्ता ने गीता के प्रमुख श्लोक का अर्थ बताते हुए कहा कि- गीता भक्ति ज्ञान कर्म का अद्भुत समन्वय है। इस अवसर पर राम मंदिर के पुजारी पं ओम नारायण द्विवेदी एवं रामकृष्ण दास के, द्वारा भी श्रीमद् भागवत गीता के महत्वपूर्ण संदेश एवं तथ्यों की जानकारी दी । कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नगर कार्यवाह नीरज अग्रवाल (नीटू), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के आर डी दीवान, शिव गुप्ता, गायत्री परिवार से श्री नागर ,नारायण शंकर अग्रवाल, दीपक थावरानी,सरस्वती शिशु मंदिर के आचार्य गण , महिलाएं, उपस्थित थी। कार्यक्रम का संचालन जिला संघ संचालक नीरज अग्रवाल ने किया।

Rafeek Memon

संपादक, इंडियन जागरण

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