स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कृष्णा भाई नै कभी शासकीय सुविधा का लाभ नहीं लिया महात्मा गांधी के स्वदेशी आंदोलन से प्रेरित होकर खादी के प्रचार में कृष्णा भाई ने बिताए 65 वर्ष।
मनेद्रगढ़। महात्मा गांधी के स्वदेशी आंदोलन में सहभागी रहे स्व कृष्ण प्रसाद उपाध्याय , स्वतंत्रता संग्राम सेनानी होते हुए भी कभी भी शासकीय सुविधाओं का लाभ नहीं लिया, प्रचार प्रसार प्रचार से कोसों दूर कृष्ण प्रसाद उपाध्याय ने ही मनेद्रगढ़ में 1957 में खादी के प्रचार प्रसार की नींव रखी और गांधी आश्रम के माध्यम से गणतंत्र दिवस एवं स्वतंत्रता दिवस में खादी के राष्ट्रीय ध्वज को जन-जन तक पहुंचाने का काम किया। उन्होंने, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के स्वदेशी आंदोलन में हाथ से कते कच्चे सूत और चरखे चलाकर देश के आर्थिक स्वालंबन की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । कृष्ण प्रसाद उपाध्याय गांधी आश्रम खादी भंडार के प्रथम संस्थापक सदस्य थे। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं सर्वोदय नेता विनोबा भावे के स्वदेशी आंदोलन के विचारों से प्रभावित होकर वे बनारस से मनेद्रगढ़ आकर गांधी आश्रम की नींव रखी। कृष्ण प्रसाद उपाध्याय एक सक्रिय किशोर क्रांतिकारी के रूप में 1956 में मनेद्रगढ़ आए थे उस समय आजादी के बाद देश भर में महात्मा गांधी के नेतृत्व में खादी भंडार खोलने की मुहिम शुरू की गई थी। मनेद्रगढ़ में कृष्ण प्रसाद उपाध्याय उर्फ कृष्णा भाई ने गांधी आश्रम खादी भंडार की नींव जनवरी 1956 में रखी और खादी के प्रचार प्रसार में 6 दशकों से अधिक समय तक समर्पित होकर काम किया। स्वर्गीय उपाध्याय एमसीबी जिले के गांधी आश्रम के प्रथम संस्थापक सदस्य के साथ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थे जिन्होंने 1942 की बनारस के सेंट्रल जेल में अंग्रेजों की यातनाओं को झेला। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी होते हुए भी उन्होंने कभी शासकीय सुविधा का लाभ नहीं लिया ।उत्तर प्रदेश सरकार के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी काशी भाई जो तत्कालीन गांधी आश्रम गोरखपुर के संस्थापक थे उन्होंने कृष्णा भाई को कई बार स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को मिलने वाली शासकीय सुविधा से जोड़ने की कोशिश की परंतु उन्होंने कोई सुविधा का उपयोग नहीं, किया, और ना प्रशासन के सामने कभी सुविधा लेने के आवेदन प्रस्तुत किया। कृष्णा भाई ने 1942 के स्वतंत्रता संग्राम में कई यातनाएं होगी 18 जनवरी 1943 को जिला जेल वाराणसी में हुए बंदी रहे एवं मार्च 1943 को सेंट्रल जेल बनारस भेज दिया गया वहीं 28 अक्टूबर 1943 को जेल से मुक्त होकर हुए महात्मा गांधी के स्वदेशी आंदोलन के सक्रिय सिपाही बन गए और फिर आचार्य कृपलानी एवं विचित्र नारायण शर्मा के सानिध्य में आकर खादी का प्रचार प्रसार करने लगे ।वे गांधी आश्रम जबलपुर के मंत्री पद में भी रहे लगभग 65 वर्षों तक खदी के प्रचार प्रसार के लिए समर्पित होकर कृष्णा भाई ने खादी आंदोलन को मनेद्रगढ़ में एक नया मुकाम दिया। मनेद्रगढ़ वार्ड नंबर 10 में आज भी उनका परिवार निवास कर रहा है-पिता के खादी प्रचार प्रसार एवं समर्पण के कारण उनके साहित्यकार जेष्ठ पुत्र गिरीश पंकज ने आजीवन खादी धारण करने का संकल्प लिया है। उन्होंने इलाहाबाद और बनारस में खादी भंडार का संचालन किया एवं खादी भंडार के सर्वोच्च मंत्री पद को भी सुशोभित किया। गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस में जब भी मनेद्रगढ़ में खादी के राष्ट्रीय ध्वज को फहराया जाता लोग स्वर्गीय कृष्ण प्रसाद उपाध्याय को काफी सम्मान के साथ याद करते हैं। कृष्णा भाई का 18 मार्च 2013 में निधन हो गया,।कृष्णा भाई के खादी के प्रचार प्रसार को गांधी आश्रम के वर्तमान प्रचारक आज भी आगे बढ़ा रहे हैं