राष्ट्र प्रेम, एवं जब्बे को कोई सम्मान नहीं मिल सका देश प्रेमी परिवार को।स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व कृष्ण प्रसाद उपाध्याय 18 मार्च 2013➖ 84 वर्ष की अवस्था में ली अंतिम सांस

मनेन्द्रगढ ।जिला एम,सी बी देश में ऐसे अभी भी बहुत से गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी हैं, जिनको आवश्यक दस्तावेज के अभाव में उनकी स्वदेशी भावनाएं ,राष्ट्र प्रेम एवं जज्बे को कोई सम्मान नहीं मिल सका। ऐसे ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं सर्वोदय नेता विनोबा भावे के खादी वस्त्रों के विचारों को अपनी जिंदगी में आत्मसात करने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व कृष्ण प्रसाद उपाध्याय थे, जिनके स्वतंत्रता आंदोलन की भूमिका को अनदेखी कर दिया गया । लगभग 60 वर्षों तक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के स्वदेशी आंदोलन एवं खादी वस्त्रों के प्रचार के लिए अपने संपूर्ण जीवन की आहुति देने वाले कृष्ण प्रसाद उपाध्याय का 18 मार्च 2013 को 84 वर्ष की अवस्था में खादी ग्रामोद्योग के गुमनाम सेनानी ने प्रचार करते हुए रायपुर में अंतिम सांस ली।
एमसीबी जिले मनेंद्रगढ़ के वार्ड नंबर 10 में आज भी इनका परिवार पिछले 70 वर्षों से झुग्गी झोपड़ी नुमा में निवास कर रहा है। कृष्ण प्रसाद उपाध्याय राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं सर्वोदय नेता विनोबा भावे के सानिध्य में स्वदेशी आंदोलन से जुड़े, और 6 दशकों से अधिक समय तक खादी के राष्ट्रीय ध्वज एवं वस्त्रो का प्रचार प्रसार और विक्रय किया। वे मनेन्द्रगढ खादी भंडार,गांधी आश्रम के प्रथम संस्थापक सदस्य थे,। स्वतंत्रता आंदोलन में वह बनारस के सेंट्रल जेल में भी रहे। अंग्रेजों की यातनाएं भी सहीं।आज जब पूरा देश तिरंगा यात्रा में व्यस्त है, तिरंगा यात्रा निकाली जा रही है महात्मा गांधी का जय घोष किया जा रहा है ऐसे में गुमनाम एवं महात्मा गांधी के विचारों को पोषित करने वाला इस खादी आंदोलन के परिवार को आज तक किसी भी राष्ट्रीय समारोह में आमंत्रित नहीं किया गया । वाराणसी उत्तर प्रदेश से आकर 60 वर्षों से अधिक खादी वस्त्रों और राष्ट्रीय तिरंगा,गांधी टोपी का प्रचार करने वाले राष्ट्रपिता बापू एवं सर्वोदय नेता विनोबा भावे के सानिध्य में रहने वाले इस गुमनाम।स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को राजनीतिक चकाचौंध में भुला दिया गया है।