मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में शिक्षक विहीन विद्यालयों की स्थिति में ऐतिहासिक सुधा,युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया से शिक्षा व्यवस्था को मिली नई मजबूती

मनेन्द्रगढ़ जिला एमसीबी,11 जून 2025,छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्रदेशभर में संचालित युक्तियुक्तकरण अभियान के सकारात्मक परिणाम अब ज़मीनी स्तर पर नज़र आने लगे हैं। मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में शिक्षक विहीन एवं एकल शिक्षकीय विद्यालयों की संख्या में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है। यह उपलब्धि शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है,शासन के निर्देशानुसार जिले में संचालित विद्यालयों की व्यापक समीक्षा की गई, जिसमें यह पाया गया कि युक्तियुक्तकरण से पहले जिले में कुल 3 प्राथमिक शालाएं पूर्णतः शिक्षक विहीन थीं। इसके अलावा 1 हाई स्कूल भी ऐसा था जहाँ एक भी शिक्षक पदस्थ नहीं था। इन सभी विद्यालयों में युक्तियुक्तकरण के तहत त्वरित कार्रवाई करते हुए शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। अब जिले में कोई भी प्राथमिक या हाई स्कूल शिक्षक विहीन नहीं है, जो प्रशासनिक सजगता और शिक्षा विभाग की तत्परता को दर्शाता है। हालांकि अभी भी 2 प्राथमिक शालाएं एकल शिक्षकीय स्वरूप में संचालित हो रही हैं, जहां केवल एक-एक शिक्षक कार्यरत हैं। शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि इन विद्यालयों को भी शीघ्र बहु-शिक्षक विद्यालयों में परिवर्तित करने के लिए आवश्यक प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है।
विकासखंड मनेंद्रगढ़, चिरमिरी और भरतपुर के ग्रामीण व वनांचल क्षेत्रों में स्थित इन विद्यालयों में पहले शिक्षक नहीं होने के कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित होती थी। अब, युक्तियुक्तकरण के बाद इन शालाओं में नियमित पठन-पाठन प्रारंभ हो चुका है, जिससे छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध हो रही है।
शिक्षा विभाग ने जानकारी देते हुए बताया कि “शिक्षकों की तैनाती में असंतुलन को समाप्त करने के लिए राज्य सरकार ने जो नीति अपनाई है, उसका सकारात्मक प्रभाव सामने आने लगा है। अब हम प्रयासरत हैं कि शेष एकल शिक्षकीय शालाओं को भी बहु-शिक्षकीय बनाया जाए ताकि शिक्षकों पर कार्य का भार संतुलित हो और विद्यार्थियों को बेहतर शैक्षणिक वातावरण मिल सके।” उन्होंने आगे बताया कि युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में जिले के सभी विकासखंडों से प्राप्त डेटा का गहन विश्लेषण कर प्राथमिकता के आधार पर रिक्त शालाओं में शिक्षकों की पदस्थापना की गई है। साथ ही, जहां आवश्यकता है, वहां पर त्वरित समाधान की दिशा में भी कार्य हो रहा है