मनेन्द्रगढ़

कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की धर्मपत्नी शिवरानी देवी जो कि स्वयं एक कहानीकार थीं एवं स्वतंत्रता सेनानी थी।

मनेन्द्रगढ़ जिला एमसीबी शिवरानी देवी के लेखन के सौ वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में हसदेव धारा साहित्य एवं कला मंच मनेन्द्रगढ़ द्वारा आयोजित कार्यक्रम में अपना उद्बोधन देते हुए संस्था की संस्थापक सदस्य, कवयित्री अनामिका चक्रवर्ती ने कहा कि शिवरानी देवी ने स्त्री सशक्तिकरण एवं पितृ सत्तात्मक सामाजिक कुरीतियों पर अपनी कलम से जोरदार प्रहार कर साहसिक लेखन किया साथ ही देश की स्वतंत्रता के लिए स्वतंत्रता सेनानी के रूप में कार्य करते हुए जेल की यात्रा भी की।
शिवरानी देवी साहित्य जगत में एक ऐसी कहानीकार हैं जिन्हें उसे तरह कभी याद नहीं किया गया जिस तरह अन्य लेखकों को एवं कथा सम्राट प्रेमचंद जी को याद किया गया।,इस आयोजन के बारे में जानकारी देते हुए संस्था के संस्थापक सदस्य मृत्युन्जय सोनी ने कहा कि पूरे भारत में शिवरानी देवी पर आयोजित यह पहला कार्यक्रम है आजतक इन पर कोई आयोजन या चर्चा नहीं हुई है इसलिए यह आयोजन अपने आप में अद्भुत है श्री सोनी ने बताया कि आने वाले 21 जनवरी 25 को दिल्ली में साहित्यकार विमल कुमार द्वारा आयोजित किया जाएगा इस अवसर पर नगर के साहित्यकार, पत्रकार रामचरित द्विवेदी ने शिवरानी देवी पर लिखी पहली कविता पढ,इस अवसर पर नगर के युवा कवि गौरव अग्रवाल ने डॉ क्षमा शंकर पांडे द्वारा लिखित पुस्तक “विस्मृत रचनाकार शिवरानी देवी” पर वरिष्ठ साहित्यकार विमल कुमार की समीक्षा का भी वाचन किया,कार्यक्रम के तारतम्य में युवा कवयित्री सुषमा श्रीवास्तव ने शिवरानी देवी की कहानी “विध्वंस की होली” का वाचन किया शासकीय विवेकानंद महाविद्यालय की प्राचार्य श्रावणी चक्रवर्ती ने कहा कि उन्हें पहली बार ही मालूम हुआ कि शिवरानी देवी लेखिका और स्वतंत्रता सेनानी भी थीं वे अबतक केवल कथाकार प्रेमचंद की पत्नी के रूप में ही जानती थीं नगर वरिष्ठ साहित्यकार और विजय नर्सरी इंग्लिश मीडियम स्कूल की संचालिका इंद्रा सेंगर ने हसदेव धारा साहित्य और कला मंच मनेन्द्रगढ़ की अनामिका चक्रवर्ती व मृत्युन्जय सोनी को इस अद्भुत आयोजन के लिए साधुवाद देते हुए कहा कि आपके आयोजन हमेशा शानदार और हटकर होते हैं संस्था की सबसे छोटी सदस्य शान्वी श्रीवास्तव ने शिवरानी देवी का हाथ से बनाया चित्र प्रदर्शित किया और अपनी कविता पढ़ी,कार्यक्रम के अगले चरण में पर्यावरण संरक्षण में लगे वरिष्ठ साहित्यकार बीरेंद्र श्रीवास्तव ने अपनी कविता पढ़ी -“मेरी कोशिश है
मैं जान सकूं
उस बच्चे के
तोतली बातों का अर्थ
जो कहता है
पापा –
मैं चिड़िया बनना चाहता हूं”
इसी तारतम्य में नगर की युवा कवयित्री इशिता सिंह ने तीखे तेवरों की कविता पढ़ते हुए कहा -“अब खुद ही हथियार लो,ना कृष्ण को पुकार दो
जो देखे दूषित दृग से तुम्हे क्षण ही उसे मार दो,जब तुम्हारे हुंकार भर से तीनो लोक ये थर थर हो
फिर क्यूँ अपनी सुरक्षा के लिए मर्द पर तुम निर्भर हो”
संस्था संस्थापक सदस्य मृत्युन्जय सोनी ने अपनी कविता स्त्री पढ़ते हुए कहा -“हजारों जन्मों का पुण्य उदय होता है,
आत्मा जब ईश्वर तुल्य हो जाती है,
तब जन्म लेती है स्त्री”
इसी क्रम में सतीश उपाध्याय, उज्जवल सिंह, रितेश श्रीवास्तव,गौरव अग्रवाल ने भी कविता पाठ किया।
संस्था के सक्रिय सदस्य पवन श्रीवास्तव ने अपने गीतों से समां बांधा,कार्यक्रम के अंत में मृत्युन्जय सोनी ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया

Rafeek Memon

संपादक, इंडियन जागरण

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