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रायपुर : विशेष लेख : पर्यटकों का स्वर्ग छत्तीसगढ़

दीपक कुमार यादव (पीआरओ)

 पर्यटन, संस्कृति, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग 

रायपुर/छत्तीसगढ़ में विशाल वन, नैसर्गिक जलप्रपात और ऐतिहासिक, पुरातत्विक तथा धार्मिक महत्व अनेक स्थल हैं। राज्य सरकार द्वारा पर्यटकों की दृष्टि से स्थलों का सौंदर्यीकरण और सुविधाओं का तेजी से विस्तार किया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की पहल पर हाल में ही राज्य सरकार ने पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया है। इसके अलावा वनांचल में ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए अनेक रिसार्ट और होटल की श्रृंखला विकसित की जा रही है। वन क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को रोजगार दिलाने के लिए होम स्टे पॉलिसी भी तैयार की गई है।
छत्तीसगढ़ में अनेक पौराणिक स्थल है, प्रभु श्रीराम ने अपने वनवास काल के 10 वर्ष छत्तीसगढ़ में बिताये थे। उनकी स्मृति में राम वन गमन पथ को विकसित किया जा रहा है। कोरिया जिले के सीतामढ़ी हरचौका से शुरू होकर सुकमा जिले के रामाराम तक जाता है। चारधाम की तर्ज पर राज्य में स्थित पांच शक्तिपीठों सूरजगपुर के कुदरगढ़, सक्ति जिला स्थित चन्द्राहसिनी चन्द्रपुर, बिलासपुर जिला का महामाया रतनपुर, दंतेवाड़ा जिला स्थित दंतेश्वरी मंदिर, राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ को जोड़ने के लिए योजना तैयारी की गई है।

पर्यटन नीति
पर्यटकों को आकर्षक सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार द्वारा पर्यटन नीति भी तैयार की गई है। इस नीति में पर्यटन स्थलों में आधुनिक और विकसित सुविधाओं के लिए निवेश करने वाले उद्यमियों को अनेक प्रकार से सुविधाएं भी दी जा रही हैं। विशेषतौर पर बस्तर अंचल में पर्यटन, सुविधाओं के विस्तार के लिए टूरिज्म सर्किट भी विकसित किया जा रहा है। इसके माध्यम से बस्तर अंचल के पर्यटन स्थलों में बेहतर कनेक्टिविटी विकसित होगी। पर्यटन नीति में ईको-टूरिज्म, एथनिक (आदिवासी), एडवेंचर और वेलनेस टूरिज्म को प्राथमिकता दी गई है।
छत्तीसगढ़ की पर्यटन संभावनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए डिजीटल प्लेटफार्म का भी उपयोग किया जा रहा है। धुड़मारास को संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन ने 60 देशों के 20 पर्यटन गांवों में सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गाँव उन्नयन कार्यक्रम के लिए चुना है।  भारत सरकार ने इस गांव को सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गाँव के पुरस्कार से सम्मानित किया है।
जशपुर जिले के मयाली गांव से 35 किमी दूर स्थित मधेश्वर पहाड़ को ‘गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में विश्व के सबसे बड़े प्राकृतिक शिवलिंग के रूप में दर्ज किया गया है, जिससे छत्तीसगढ़ पर्यटन को नई पहचान मिली है। मधेश्वर पहाड़ न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्वतारोहण  और एडवेंचर स्पोर्टस के लिए भी लोकप्रिय होता जा रहा है। हर साल यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते है, प्रकृति के साथ जुड़ने का अनुभव करते हैं। केंद्र सरकार से 10 करोड़ रूपए की राशि प्राप्त हुई है, जो विशेष रूप से मधेश्वर महादेव धाम और पहाड़ के धार्मिक एवं पर्यटन क्षेत्र के विकास में खर्च की जा रही है।

धार्मिक पर्यटन स्थल 
पैरी, सोंढूर और महानदी के संगम पर बसा राजिम को इसके धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण छत्तीसगढ़ का प्रयागराज कहा जाता है। यहां 8वी सदी का राजीव लोचन मंदिर प्रसिद्ध है। यहां कुंभ कल्प के आयोजन होने के कारण देश विदेश में राजिम प्रसिद्ध है। छत्तीसगढ़ प्रभु श्रीराम का ननीहाल भी है। चंदखुरी में माता कौशल्या मंदिर भी है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शिवनी नारायण में माता शबरी का मंदिर भी है जहां प्रभु श्रीराम ने माता शबरी से मीठे बेर खाए थे। डोंगरगढ़ की बम्लेश्वरी, रतनपुर की महामाया, धमतरी की बिलाई माता, चन्द्रपुर की चन्द्रहासिनी मंदिर धार्मिक पर्यटन के लिए मशहूर हैं।
ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक स्थल

बौद्ध ग्रंथों के अनुसार प्रसिद्ध चीनी यात्री ने सिरपुर की यात्रा की थी और यहां बौद्ध विहार और स्तुप देखे थे। आज भी यहां पुरातात्विक अवशेष देखे जा सकते हैं। यह भी मान्यता है कि भगवान बुद्ध ने यहां उपदेश दिया था। तत्कालीन समय सिरपुर एक बड़ा व्यापारिक केंद्र था। इसके अलावा यह स्थान शैव-वैष्णव और बौद्ध धर्म का संगम स्थल है। कबीरधाम जिले का भोरमदेव शिव मंदिर के लिए विख्यात है। इस मंदिर में खजुराहो की शिल्पकला के दर्शन होते हैं। यह मंदिर 11वीं सदी में बनाया गया है। कुटुम्बसर की गुफा भी दर्शनीय है। यहां अंधी मछलियां, स्टैलेक्टाइट और स्टैलेग्माइट संरचना पायी जाती है। सिंघनपुर की की गुफा में आदिमानव के शैल चित्र और रामगढ़ की गुफाओं में भारत की प्राचीनतम नाट्यशालाओं के अवशेष मिलते है।

प्राकृतिक पर्यटन स्थल
बस्तर का चित्रकोट जलप्रपात जिसे भारत का नियाग्रा भी कहा जाता है। इस मनोरम जलप्रपात को देखने के लिए देशभर के सैलानियों का आना-जाना होता है। इसके निकट ही तीरथगढ़ जलप्रपात है। जहां छोटे-छोटे एक साथ कई जल धाराएं एक साथ गिरती है जो मनोरम छटा बिखेरती है। जशपुर का रानीदाह, राजपुरी जैसे कई दर्शनीय जलप्रपात भी है। मयाली और धुड़मारास में नेचर टूरिज्म का आनंद लिया जा सकता है। धुड़मारास में बैम्बू रॉप्टिंग की सुविधा भी है। इसके अलावा राज्य में कांगेर घाटी नेशनल पार्क, इन्द्रावती राष्ट्रीय उद्यान, गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और अनेक वन्य अभ्यारण्य है।
मैनपाट छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में स्थित एक सुंदर हिल स्टेशन और प्रमुख पर्यटन स्थल है, जिसे “छत्तीसगढ़ का शिमला” तथा “मिनी तिब्बत” भी कहा जाता है। मैनपाट अपनी प्राकृतिक सुंदरता, विशिष्ट तिब्बती संस्कृति, अनोखी भौगोलिक रचनाओं और शांत वातावरण के कारण छत्तीसगढ़ का एक अनूठा पर्यटन स्थल है, जहाँ हर साल हजारों पर्यटक सुकून और रोमांच के लिए आते हैं। यहाँ कई बौद्ध मठ एवं तिब्बती शरणार्थी शिविर भी दर्शनीय हैं, जो तिब्बती संस्कृति की झलक देते हैं।

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