धमतरी। जिला में चाकूबाजी, झगड़े और हत्या जैसी वारदातें रुकने का नाम नहीं ले रहीं। पुलिस प्रशासन लगातार कार्रवाई कर रहा है — अपराधियों को गिरफ्तार किया जा रहा है, मुकदमे दर्ज हो रहे हैं, गश्त बढ़ाई गई है — लेकिन इसके बावजूद सवाल वही है: “आखिर कब थमेगा यह खूनी खेल?”
पिछले कुछ महीनों में जिला के कई हिस्सों में बार-बार खूनखराबे की घटनाएं सामने आई हैं। पुलिस ने हर मामले में तेजी दिखाई है, आरोपी कुछ ही घंटों, कुछ ही दिनों में हिरासत में भी आ जाते हैं, लेकिन अगले ही दिन किसी नए इलाके से फिर वही खबर — झगड़ा, चाकू, खून और अफरातफरी।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि पुलिस की फुर्ती काबिल-ए-तारीफ है, लेकिन अपराध की जड़ें कहीं और हैं — समाज के भीतर फैलता गुस्सा, नशे की प्रवृत्ति, और छोटी बात पर हिंसा पर उतर आने की मानसिकता। जब तक इन कारणों पर काम नहीं होगा, तब तक गिरफ्तारी के बावजूद जिला में शांति कायम नहीं हो पाएगी।
पुलिस अधिकारी मानते हैं कि वे अपराध पर नकेल कसने में लगे हैं। कई आदतन अपराधियों पर निगरानी रखी जा रही है, देर रात गश्त बढ़ाई गई है, और कई स्थानों पर चौकियों की गतिविधियां तेज हुई हैं,जिला बदर की भी कार्यवाही की गई है। लेकिन ये सभी कोशिशें तभी सार्थक होंगी जब नागरिक भी अपराध के खिलाफ खड़े हों और प्रशासन सामाजिक सुधार की दिशा में ठोस कदम उठाए।
जनता अब यही पूछ रही है —
“पुलिस तो हर मामले में अपराधी को पकड़ लेती है, फिर अपराध क्यों नहीं रुकते?”
“क्या कानून के डर से ज्यादा ताकत अपराधियों के हौसलों में है?”
धमतरी की सड़कों पर शांति लौटे, इसके लिए केवल कार्रवाई नहीं, बल्कि रोकथाम और सुधार दोनों की जरूरत है। जिला के युवा, परिवार और समाज — सबको मिलकर एक नई सोच के साथ आगे आना होगा। क्योंकि जब तक अपराध की जड़ें समाज में हैं, तब तक सिर्फ गिरफ्तारी से जिला सुरक्षित नहीं हो सकता।
अब वक्त है कि सवाल से आगे बढ़कर समाधान तलाशा जाए —
धमतरी को फिर से सुरक्षित, सुकूनभरा और शांत बनाने की दिशा में।
