धमतरी की नगर घड़ी की सूइयाँ महीनों से है थमीं… अब इनाम की घोषणा से उम्मीदों की रफ्तार बढ़ी!
धमतरी की नगर घड़ी महीनों से बंद है—शहर के लोग समय से चलें या न चलें, पर घड़ी ने तो चलने से साफ इनकार कर दिया है। और अब घड़ी को चालू कराने के लिए महापौर रामू रोहरा ने नया ‘स्कीम’ लॉन्च कर दी है—जो मैकेनिक ढूंढकर लाएगा, उसे 5 हजार का इनाम… और जो घड़ी बना देगा, उसे पूरे 21 हजार!
शहर में आम नागरिकों के बीच चर्चा ये है कि घड़ी बनवाना अब तकनीक से ज़्यादा ‘टैलेंट हंट’ बन गया है। लोग कह रहे हैं— “घड़ी नहीं, मकैनिक ढूंढना ही असली प्रतियोगिता है।”
मजेदार ये कि घड़ी का काम महीनों से अटका है—कभी पार्ट्स नहीं, कभी एक्सपर्ट नहीं, कभी बजट नहीं। अब यह देखने वाली बात होगी कि समय की यह रुकी पटरी इनाम की चाबी से चल पड़ती है या फिर इस पर भी कोई टेंडर टाइम लग जाएगा।
घड़ी की सूई भले न हिली हो, लेकिन चर्चा की सूई जरूर पूरे शहर में घूम रही है….
कोई कह रहा क्या इतने इनाम के बाद भी समय चल पाएगा… या शहर को ‘रुके हुए वक्त’ के साथ ही जीना पड़ेगा?
कोई बोल रहा “क्या इस बार समय सच में चलेगा, या फिर शहर एक और सीज़न देखने वाला है— घड़ी सुधार प्रयास:?
चौक के पास खड़ी घड़ी अब सिर्फ समय बताने का उपकरण नहीं, बल्कि धमतरी की प्रशासनिक गति का प्रतीक बन गई है—
जहाँ सूइयाँ रुकी हैं। अब शहर की निगाहें टिक-टिक पर नहीं, बल्कि इस बात पर टिकी हैं— क्या इनाम की रकम समय को हिला पाएगी… या धमतरी को रुके हुए वक्त के साथ ही आगे बढ़ना पड़ेगा?
