भारत की सांस्कृतिक धरोहर में विजयादशमी केवल एक पर्व नहीं, बल्कि जीवन जीने की प्रेरणा है। यह दिन याद दिलाता है कि चाहे बुराई कितनी ही शक्तिशाली क्यों न हो, सत्य और धर्म की ज्योति अंततः अंधकार को मिटा देती है।
त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर दुनिया को यह संदेश दिया था कि अहंकार, अन्याय और अधर्म का अंत निश्चित है। आज जब हम विजयादशमी मनाते हैं, तो यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि हर व्यक्ति के भीतर के रावण—अहंकार, ईर्ष्या, लालच और अन्य नकारात्मक विचारों को जलाने का अवसर है।
समाज में बढ़ते अविश्वास, हिंसा और असमानता के दौर में यह पर्व हमें एकजुट होकर अच्छाई का मार्ग अपनाने की सीख देता है। विजयादशमी यह बताती है कि कठिनाइयाँ चाहे कितनी भी हों, सच्चाई और धैर्य से चलने वाला व्यक्ति अंततः विजयी होता है।
इंडियन जागरण परिवार इस पावन पर्व पर आप सभी से आह्वान करता है कि हम अपने भीतर और आसपास के अंधकार को मिटाने का संकल्प लें। आइए, इस विजयादशमी पर हम सब मिलकर नए युग की शुरुआत करें—जहाँ सत्य, न्याय, शांति और सद्भावना की जीत हो।
“असत्य पर सत्य, अधर्म पर धर्म और अन्याय पर न्याय की विजय का यह पर्व आपके जीवन को नई रोशनी और खुशहाली से भर दे।”
–– इंडियन जागरण परिवार




