✍️ संपादक की कलम से
भारत की आत्मा उसकी परंपराओं में बसती है, और उन परंपराओं की सबसे चमकदार कड़ी है दीपावली। यह सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि प्रकाश, आस्था और आत्मविश्वास का प्रतीक है। जब घरों में दीये टिमटिमाते हैं, तो मानो अंधकार खुद पीछे हट जाता है। दीपावली हमें यह सिखाती है कि यदि एक दीपक भी जल जाए, तो हजारों छायाएँ मिट सकती हैं।
समय के साथ पर्वों का स्वरूप बदलता रहा, पर दीपावली की रौनक हर युग में एक सी रही। यह पर्व हमारी भावनाओं का आईना है—जहाँ प्रेम, उत्साह, समर्पण और सद्भाव सब एक साथ झिलमिलाते हैं। घर-आंगन की सफाई, रंगोली की सजावट, नए वस्त्र, मिठाई की सुगंध और दीपों की झिलमिलाहट — सब मिलकर एक ऐसी अनुभूति देते हैं जो शब्दों से परे है।
लोकमानस में यह त्यौहार न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि सामाजिक एकता का भी संदेशवाहक है। जब समाज का हर वर्ग, हर धर्म, हर पीढ़ी एक साथ मुस्कुराती दिखती है, तो यह एहसास होता है कि इंसानियत किसी धर्म, जाति या भाषा की मोहताज नहीं। यह दीपावली सबको जोड़ने का, बाँधने का और नई शुरुआत करने का अवसर देती है।

कहा जाता है—“जहाँ दीप जलते हैं, वहाँ उम्मीदें खिलती हैं।”
वर्तमान दौर में जब इंसान भागदौड़ में थक चुका है, संबंधों में दूरी और मन में बेचैनी बढ़ी है, तब दीपावली हमें रुककर सोचने का अवसर देती है—क्या हम वास्तव में भीतर से प्रकाशित हैं?
दीये केवल मिट्टी के पात्र नहीं, बल्कि जीवन के मार्गदर्शक हैं। हर बाती हमें स्मरण कराती है कि जलना ही अस्तित्व का अर्थ है।
समाज में बदलते परिवेश ने इस पर्व के स्वरूप में भले ही कुछ नया जोड़ा हो, परंतु इसकी आत्मा आज भी वही है। पहले दीये घरों में तेल से जलते थे, आज बिजली के झालरों ने स्थान ले लिया है। लेकिन वह आंतरिक रोशनी, जो मन के अंधेरों को मिटाती है, वही दीपावली का असली सार है।
आर्थिक दृष्टि से भी यह पर्व देश की जीवनधारा में नई ऊर्जा भरता है। छोटे कारीगरों से लेकर बड़े व्यापारियों तक, हर किसी के चेहरे पर मुस्कान होती है। मिट्टी के दीये बनाने वाले कुम्हार, मिठाई तैयार करने वाले हलवाई, कपड़ा व्यापारी, खिलौना विक्रेता — सबके लिए दीपावली आशा का मौसम बनकर आती है। यही वह समय होता है जब मेहनतकश हाथों को सम्मान मिलता है, और रोज़गार का पहिया गति पकड़ता है।
परंतु आज जरूरत है इस उत्सव को केवल दिखावे तक सीमित न रहने देने की। दीपावली का अर्थ केवल आतिशबाजी, ब्रांडेड परिधान या सोशल मीडिया पोस्ट नहीं है। यह आत्मशुद्धि का पर्व है। जब हम अपने भीतर झाँकते हैं, और जो गलतियाँ की हैं उन्हें स्वीकारते हैं, वही असली दीपावली है। अपने भीतर के अंधेरे को पहचानना और उसे मिटाना ही सच्ची पूजा है।
मिट्टी के दीये, फूलों की सजावट, परंपरागत मिठाइयाँ और प्रेमपूर्ण व्यवहार — यही दीपावली की वास्तविक पहचान हैं।
आज की पीढ़ी को समझना होगा कि यह त्यौहार केवल परिवारों को नहीं जोड़ता, बल्कि पीढ़ियों को भी जोड़ता है। जब बच्चे अपने दादा-दादी से राम के वनवास से लौटने की कथा सुनते हैं, तो संस्कृति की जड़ें और मजबूत होती हैं। दीपावली एक दिन का नहीं, बल्कि अनंत प्रेरणा का उत्सव है — जो हर युग में यह संदेश देता है कि अच्छाई चाहे देर से जीते, पर अंततः जीत उसी की होती है।
धनतेरस से गोवर्धन तक, भाई दूज से अन्नकूट तक—पाँच दिनों का यह पर्व विविधता का अनूठा संगम है। हर दिन का अलग महत्व, अलग संदेश है। यह संपूर्ण श्रृंखला जीवन के हर पहलू को छूती है—धन, परिवार, भक्ति, प्रेम और परोपकार। जब तक इन सबका संतुलन बना रहे, तब तक समाज मजबूत रहेगा।
इस दीपावली पर हम सबको यह संकल्प लेना चाहिए कि सिर्फ घरों को नहीं, दिलों को भी रोशन करें। किसी जरूरतमंद को मुस्कान दें, किसी दुखी को सहारा दें, किसी अकेले को अपनापन दें। यही असली पूजा है, यही भगवान के प्रति सच्ची भक्ति है।
कभी-कभी समाज की असली रोशनी किसी बड़ी इमारत से नहीं, बल्कि एक छोटे घर से आती है जहाँ माँ अपने बच्चे को एक दीया दिखाकर कहती है—“बेटा, अंधेरा कभी स्थायी नहीं होता।” वही संदेश पूरी मानवता के लिए सबसे बड़ा सबक है।
आज जब देश नई चुनौतियों से गुजर रहा है, तब दीपावली हमें आत्मविश्वास देती है कि हर कठिनाई के पार उजाला है। जैसे अमावस्या के बाद पूर्णिमा आती है, वैसे ही संघर्ष के बाद सफलता मिलती है। दीपावली यह विश्वास दिलाती है कि जब तक भीतर आशा का दीप जलता रहेगा, तब तक कोई अंधकार हमें तोड़ नहीं सकता।
अंत में, यह कहना उचित होगा कि दीपावली का असली अर्थ केवल रोशनी फैलाना नहीं, बल्कि मनुष्यत्व को जागृत करना है। यह पर्व हर नागरिक को यह स्मरण कराता है कि अंधकार चाहे कितना भी गहरा हो, एक छोटा दीपक उसे मात दे सकता है। बस जरूरत है, उस दीपक को जलाने की हिम्मत रखने की।
प्रकाश से प्रेरणा लेने, और मानवता के दीप जलाने का संदेश देते हुए इंडियन जागरण परिवार की ओर से आप सभी को शुभ दीपावली






